बाबुके प्यार
बाबुके प्यार, एगो पुरान टाँर्च,
अपने अन्हारमे रहत ।
लेकिन हमरा रास्ता देखाबेमे,
रातभर जरत ।
बाबुके प्यार, एगो घरके छत,
जेकर नीचा गर्मीके कोनो असर न ।
अपने सुरजके सामना करे,
लेकिन हमरा उपर छाया पसारे ।
बाबुके प्यार, एगो पुरान लाठी,
जेकर सहारा बिना जिन्दगी लथपथ ।
सब रस्तापर साथ देलन,
अपन दुःख भुलाके, हमरा खड़ा रखलन ।
बाबुके प्यार, एगो खेतके हल,
जेकर बिना खेती नहोए पूरा ।
अपने चलत, पसीना बहाएत,
तब जाके घरमे अन्न–पानी आएत ।
बाबुके प्यार, एगो पुरान छाता,
हमरा अपना भितर रखत ।
अपने मेंघमे भिजत,
लेकिन हमरा मेंघसे बचाके रखत ।
Poet Info:
Written By: Bibek Prasad Kushwaha
Written On: 2025-03-19
Language: Bajjika
Address: Malangwa-02, Sarlahi, Madhesh Province, Nepal
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